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Lokeshwari Kashyap

Drama Classics Inspirational

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Lokeshwari Kashyap

Drama Classics Inspirational

तुम ही माझी, तुम ही पतवार

तुम ही माझी, तुम ही पतवार

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हे कृष्णा, हे प्रीतम, तूने सुन ली मेरी पुकार l

तू ही मेरा जीवन,तू ही मेरा जीवन आधार।


मैं हूँ कस्ती, जो पड़ी थी बीच मझधार l

हे कृष्णा, तूने माझी बनकर मेरी कस्ती लगाई पार।


फिर दुखी हूँ,व्यथित हूँ, सुन्दर ले मेरी पुकार l

हे कृष्णा,करो कृपा मुझपर हे करुणावतार।


बेबस नहीं हूँ, लाचार नहीं हूँ, ना हूँ कमजोर l

बस एक तेरी अदद प्रेम दृष्टि की मुझे दरकार।


सोचती हूँ क्या हूँ मैं,जानती हूँ कुछ भी तो नहीं l

तेरा कृपा जो मिल जाये मुझे, हो जाऊ मैं मालामाल।


हे कृष्णा, बजाओ तुम फिर प्रेम मुरलिया l

हर लो नाथ, मेरा तुम जीवन संताप।


इत देखु, उत देखु, देखु मैं चहुँ ओर l

हे कृष्णा, तेरी दया का नहीं देखु कहीं ओर -छोर।


तेरी प्रीत समाई, मेरे कण -कण में l

हे कृष्णा, फिर क्यूँ मैं तुझे ढूँढू मधुबन में।


तुझसे है हर गीत, तुझसे मेरे जीवन में संगीत l

तुम ही मेरी प्रीत कृष्णा, तुम ही हो मनमित।


तुमसे ही सुबह मेरी, तुम्ही पे मेरी शाम है l

जिस पल तेरा नाम ना लूँ, उस पल को धिक्कार है।


हे कृष्णा, अंधा क्या चाहे, दो आँखे l

तुमने मुझे अपनाया, ये तेरा उपकार है।


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