STORYMIRROR

Yukta Pareek

Drama Classics Inspirational

4  

Yukta Pareek

Drama Classics Inspirational

तुम एक खुली किताब हो !

तुम एक खुली किताब हो !

1 min
369

तुम एक खुली किताब हो

जिसे में हमेशा से पढ़ना चाहता था,

तुम एक खुले आसमां के जैसी हो,

जिसने हमेशा मुझे कुछ नया सा सिखाया

ऐसा आसमां जिसके तले रह के

मुझे अपनापन सा लगता है,

दिल को एक सुकून सा मिलता है।


दिल को एक पनाह मिलती है।

ऐसा आसमां जिसके तले

सिर्फ और सिर्फ शीतल छाया है,

तुम एक खिले हुए फूल के जैसी हो,

जिसने अपनी महक,

मेरे जीवन में भर दी है।


तुम वो चांद का टुकड़ा हो,

जिसे देखते ही हर कोई मुस्कुरा उठे।

तुम वो हो जो मेरे दुख में भी

और मेरे सुख में भी मेरे साथ रही। 


तुमने ना सिर्फ मुझे हंसाया और रूलाया है

बल्कि मुझे ज़िंदा रखा है।

तुम वो हो जिसने हमेशा मुझे आगे बढ़ाया

तुम वो हो जिसने हमेशा मुझे समझा

तुम वह किताब हो 

जिसे कोई कभी नहीं खोना चाहेगा।


तुम वह किताब हो

जिसके पन्नों का कोई अंत नहीं।

तुम वह किताब हो

जिसके पास ज्ञान का अथाह सागर है।


तुम वह किताब हो,

जिसे मै हमेशा से पढ़ना चाहता था।

तुम वह किताब हो,

जिसे मै सपनों में भी नहीं खोना चाहता।


हां ये सच है,

तुम ही मेरी पसंदीदा किताब हो।

और इस जन्म में तुम ही

मेरी पसंदीदा किताब रहोगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama