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Yukta Pareek

Abstract

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Yukta Pareek

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ज़िन्दगी मसालों की तरह है

ज़िन्दगी मसालों की तरह है

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ज़िन्दगी मसालों की तरह है,

कुछ तीखे, कुछ चटपटे 

जो ज़िन्दगी रूपी,

खाने का स्वाद बढ़ाते हैं।

जैसे खाना है अधूरा 

मसालों के बगैर

उसी तरह ज़िन्दगी है,

अधूरी चटपटे एहसासों के बगैर।

इन एहसासों का होना 

जरूरी है,

वरना ज़िन्दगी फीकी पड़ जाएगी

ना ज़िन्दगी की दाल में नमक होगा,ना मिर्ची

बेस्वाद सी हो जाएगी 

इसलिए उसमें मसालों के तड़के 

की जरूरत है।

ज़िन्दगी मसालों की तरह है,

ज़िन्दगी मसालों की तरह है।



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