हां लड़के भी रोते है!
हां लड़के भी रोते है!
कौन कहता है - लड़के रोते नहीं,
हां दिन के उजाले में भले ही नहीं,
पर रात के अंधेरों में,
लड़के भी रोते है।
माना कुछ कहते नहीं
पर मन में सहते भी वही है।
सबकी ख़ुशियों की परवाह
करते करते,
ना जाने कितनी बार अपनी
ख़ुशियों का बलिदान करते है।
ये सच है वो दिखाते नहीं है,
पर लड़के लड़कियों से भी ज़्यादा रोते है।
जब आसमां में चाँद और तारे
झिलमिलाते रहते हैं,
तब तब उनकी आँखो से आँसू
झर - झर कर बहते रहते है।
वे भी रोते है जब अपनी माँ को
दुख में देखते है,
वे भी रोते है जब पिता को
मुसीबत में देखते है,
वे भी रोते है जब उनकी बहन
उन्हें छोड़कर ससुराल को जाती है,
वे भी रोते है जब उनका दिल
टूट जाता है।
वह लड़के ही है, कोई मोम का
खिलौना नहीं,
उनके भी दिल होता है,
उनके भी भावनाएं होती है।
हम लड़के है हम रोते नहीं
ये कहने वाले भी रोते है।
हां लड़के भी रोते है।
हां लड़के भी रोते है।
