तुम और मैं
तुम और मैं

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चाँद, घटाएं, शब़नम, तारे
ये शबिस्तां, तुम और मैं
फूल, इत्र, नूर, सब़ा
बज़्मे शब़ाना, तुम और मैं
मय़,मीना, सागर, जाम
लम्स-बा-लब़, तुम और मैं
चादर, तकिया, बिस्तर, गद्दा
सिलवटों में, तुम और मैं
पायल छनकी, चूड़ी टूटी
इत्ते शोख़, तुम और मैं
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ज़ुल्फ़ें, अंगड़ाई, हुस्न, तिश्नगी
हरपल ख़ुमारी, तुम और मैं
ता-शब़ रहे कुर्बतों में
भीगी उल्फ़त, तुम और मैं
बिखरे गेसू, हुई सहर
यास लिए, तुम और मैं
एक शक्ल पे ग़ज़लें हज़ार
प्यार हुआ है पहली बार
आँखें उसकी कर रही मदहोश
कोई संभालो मुझको यार!