Sahil Hindustaani
Romance
तेरे घर के चार फेरे क्या लगे ज़ालिम
लगा मक्का-मदीने का सफ़र तमाम हो गया!
ग़ज़ल
अश'आर
समाज
शायरियां
तन्हाई में
कहता हूँ
रश्क़
शायरी - 1
शायरी
देख कर उसकी बेबसी जो किसी को खो नहीं सकता था, देख कर उसकी बेबसी जो किसी को खो नहीं सकता था,
चलो अगली मुलाकात में ये काम करूंगी उन लम्हों को बातों को दिल में कैद करूंगी चलो अगली मुलाकात में ये काम करूंगी उन लम्हों को बातों को दिल में कैद करूंगी
सुनो तुम परेशान मत हुआ करो मैं बेशक दूर रहूं पर मैं तुम्हारा हूं। सुनो तुम परेशान मत हुआ करो मैं बेशक दूर रहूं पर मैं तुम्हारा हूं।
आम के अचार जैसी चटपटी भी उस शाम की रस माधुरी जैसी लज़ीज़ बातें .... आम के अचार जैसी चटपटी भी उस शाम की रस माधुरी जैसी लज़ीज़ बातें ....
हालात हों कैसे भी मुझे कुछ नहीं बस साथ तुम्हारा चाहिए। हालात हों कैसे भी मुझे कुछ नहीं बस साथ तुम्हारा चाहिए।
हरपल मैं तुझे ही याद करती रहूं, दिल के हर कोने में तू ही बसे। हरपल मैं तुझे ही याद करती रहूं, दिल के हर कोने में तू ही बसे।
तुम्हारे लिए बस प्रेम रस बरसाऊँगी तुम मुझे बस गुलमोहर ही रहने देना। तुम्हारे लिए बस प्रेम रस बरसाऊँगी तुम मुझे बस गुलमोहर ही रहने देना।
बनारस की गलियों में साथ तेरे घूमना अभी बाकी है। बनारस की गलियों में साथ तेरे घूमना अभी बाकी है।
ओढ़ सुनहरे सपनों की रंगीन खुशनुमा चादर , ओढ़ सुनहरे सपनों की रंगीन खुशनुमा चादर ,
खुद तुम्हारे नाम के साथ उसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगा खुद तुम्हारे नाम के साथ उसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगा
सुख-दुख में हमेशा उसे पास पाऊँ, बस ये ही प्यार है मेरे लिए....! सुख-दुख में हमेशा उसे पास पाऊँ, बस ये ही प्यार है मेरे लिए....!
एक डाल पर एक चिड़िया बोले कई -कई बार सुन भाई। एक डाल पर एक चिड़िया बोले कई -कई बार सुन भाई।
लाख छुपाने पर भी नहीं छुप पाते, निकल आते हैं टकराव, तकरार व जज्बात के आँसू। लाख छुपाने पर भी नहीं छुप पाते, निकल आते हैं टकराव, तकरार व जज्बात के आँसू।
जागकर अपनी रातें बिता लेंगे हम। मुझको रुत अब सुहानी नहीं चाहिए। जागकर अपनी रातें बिता लेंगे हम। मुझको रुत अब सुहानी नहीं चाहिए।
पलकों की भाषा समझकर कमबख्त, हम भी शरारती बन जाते है। पलकों की भाषा समझकर कमबख्त, हम भी शरारती बन जाते है।
तेरे बग़ैर भी ये सांसें चलती हैं , किसने कहा कि जीना छोड़ दिया मैंने। तेरे बग़ैर भी ये सांसें चलती हैं , किसने कहा कि जीना छोड़ दिया मैंने।
रिश्ता है..प्यार का विश्वास का.. एक आस का एक खास का... रिश्ता है..प्यार का विश्वास का.. एक आस का एक खास का...
है! प्राण वल्लभ तुम हो, कहां तुम बिन है मन का आंगन सूना। है! प्राण वल्लभ तुम हो, कहां तुम बिन है मन का आंगन सूना।
ना राधा ना रुक्मणी भक्ति का रस पाने मैं मीरा बन गई सांवरे मुझे मीरा तो बन जाने दो। ना राधा ना रुक्मणी भक्ति का रस पाने मैं मीरा बन गई सांवरे मुझे मीरा तो बन जा...