Sahil Hindustaani
Romance
तेरे घर के चार फेरे क्या लगे ज़ालिम
लगा मक्का-मदीने का सफ़र तमाम हो गया!
ग़ज़ल
अश'आर
समाज
शायरियां
तन्हाई में
कहता हूँ
रश्क़
शायरी - 1
शायरी
कहाँ से लाया था यह नए सपने और नए ख्वाब इन्हीं शब्दों में अक्सर उलझे रहते हैं ढूँढते ह कहाँ से लाया था यह नए सपने और नए ख्वाब इन्हीं शब्दों में अक्सर उलझे रहते हैं...
कभी तुम बस यूँ करना पूरा एक दिन, तुम मेरे लिए रखना। कभी तुम बस यूँ करना पूरा एक दिन, तुम मेरे लिए रखना।
नदियों सी निश्छल बहती हुई वो मीठी प्यास हो तुम. नदियों सी निश्छल बहती हुई वो मीठी प्यास हो तुम.
मेरी पलकों के साये में, ख़्वाब सजाकर तुम पलते हो । मेरी पलकों के साये में, ख़्वाब सजाकर तुम पलते हो ।
वो भी क्या दिन, क्या ज़माना था तेरी गलियों में मेरा आना जाना था. वो भी क्या दिन, क्या ज़माना था तेरी गलियों में मेरा आना जाना था.
वो भी क्या दिन थे जब हम और तुम मिलते थे रात के अंधियारे में। वो भी क्या दिन थे जब हम और तुम मिलते थे रात के अंधियारे में।
वो जब हमसे पूछती है "कहां खो गए हो जनाब" वो जब हमसे पूछती है "कहां खो गए हो जनाब"
तेरे लब पर मेरा नाम हो यूँ ही जिंदगी की शाम हो. तेरे लब पर मेरा नाम हो यूँ ही जिंदगी की शाम हो.
प्यार है तो ऋषभ कहो बस यही, तुम हमारी हुई, हम तुम्हारे हुये। प्यार है तो ऋषभ कहो बस यही, तुम हमारी हुई, हम तुम्हारे हुये।
मैं एक किताब जिसमें तू कविता सी समाई है, कुछ ऐसे ज्यूँ जिस्म में रुह रहा करती है। मैं एक किताब जिसमें तू कविता सी समाई है, कुछ ऐसे ज्यूँ जिस्म में रुह रहा करती...
हां , मैं मतलबी हूं मैं तुम्हें तुम्हारे लिए नहीं खुद के लिए प्यार करती हूं. हां , मैं मतलबी हूं मैं तुम्हें तुम्हारे लिए नहीं खुद के लिए प्यार करती ...
मिलन तेरा मेरा आज हो गया है जैसे चाँद आसमां में पूरा हो गया है। मिलन तेरा मेरा आज हो गया है जैसे चाँद आसमां में पूरा हो गया है।
तुम ऐसे लगते हो जैसे खुशबू ने सिंगार किया हो। फूलों ने त्योहार किया हो।। तुम ऐसे लगते हो जैसे खुशबू ने सिंगार किया हो। फूलों ने त्योहार किया हो।।
आज फिर छेड़ा है किसी ने प्यार का किस्सा, सुबह से ही मन में उमंग। आज फिर छेड़ा है किसी ने प्यार का किस्सा, सुबह से ही मन में उमंग।
दिल की बस हसरत यही है, हम तुम्हें हर बार गायें ।। दिल की बस हसरत यही है, हम तुम्हें हर बार गायें ।।
धड़कनें बढ़ाने लगे साजन की, सुना पायल की वाणी। धड़कनें बढ़ाने लगे साजन की, सुना पायल की वाणी।
अनगिनत रूहों के बीच से यूँ तुम्हारी छाया में गुजरना अनगिनत रूहों के बीच से यूँ तुम्हारी छाया में गुजरना
छोड़ धुन हठधर्मिता की, प्रेम की धुन गुनगुनाते.. काश तुम अब लौट आते....।। छोड़ धुन हठधर्मिता की, प्रेम की धुन गुनगुनाते.. काश तुम अब लौट आते....।।
मैं खाबों में तुम्हारे प्रेम के वृक्ष को बढ़ता देखा करूंगा.... अपने पाषाण हृदय से तुम। मैं खाबों में तुम्हारे प्रेम के वृक्ष को बढ़ता देखा करूंगा.... अपने पाषाण हृ...
जब मिलेंगे हम तुम नदी केे उस पार जवां दिलों में होगी खुशी अपार। जब मिलेंगे हम तुम नदी केे उस पार जवां दिलों में होगी खुशी अपार।