तुझे पाना और खोना
तुझे पाना और खोना
नक़ाब हटा के देखूं तो हुस्न–ए–महताब को देखूं
कि दिल में झांक के देखूं तो तस्वीर तुम्हारी देखूं।
दिल एक कागज बन गया है और ये रूह एक कब्र
झील सा आगाज़ है और तन्हा सी जिंदगी का सब्र।
कि मैं मिट जाऊं तो कौन सी मिट्टी में जाकर मिलूं
मेरी ज़ेहन की नशे फट रही है अब किस से मिलूं।
तू है के मुझसे दूर चला गया ऐसे कि दरिया सूख गया
उस कोहसार की गर्मी से दिल मेरा उफन के दुख गया।
तुझे पाना मेरी सोच से परे, तुझे खोना दिल टूट जाना
आज मैं हूं तुझसे जुदा, मेरा ग़म खाए तेरा यों जाना।
है याद भी तुझे कुछ बांहों में हाथ डाले बाहर जाना
और फिर तेरा पिक्चर देखते–देखते मुंह फूल जाना।
क्या गर्मी थी पार्क में जब तेरा बांहों में मेरी सो जाना
नींद में बड़बड़ाना और फिर झटके से खड़े हो जाना।
पसीना टपक रहा था मगर तुम्हें ज़िद्द थी आइसक्रीम को पाना
लेकिन मैं अब्रो को ताक रहा था दुआ में रोना बारिश का खोना।