तो क्या?
तो क्या?
यूँ कब तक भला .....इम्तहान लोगे तुम,
हम जान कहते थे तुम्हें .....तो क्या जान लोगे तुम !!
सांस से सांस जोड़ कर सींचा था प्यार....
तो क्या आंखों में आंसू लाने लगे तुम।
तन्हाई में हसाया था तुम्हें दिल के जख्म छुपा कर....
तो क्या मुझे तन्हा छोड़ने के लिए?
वजह नहीं देते थे तुम्हें रोने की......
तो क्या हमारी हँसी चुराने की वजह मिल गई तुम्हें।
खयाल रखते थे तुम्हारा सांसों से भी ज्यादा...
तो क्या बेवजह बेखायल रखना जरूरी था?