तो चले
तो चले
ज़िंदगी से मॉंगे थे
उधार कुछ लम्हें
इन्हें किसी तरह,
चुका ले तो चले
दिलबर की सदाए,
रुसवा करे हमें
दाग इस दामन से,
धुला ले तो चले
बुत को खुदा करने पर
ऐंठे है रहीमे
दौर ये बदगुमानी के,
रूका ले तो चले
बेबस कर जायेंगे
मौत के वह लम्हें
सजदे में जिंदगानी,
झुका ले तो चले...!