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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy

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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy

तन्हाई

तन्हाई

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बहुत रानाइयाँ हैं जहां में, मेरे हिस्से क्यों सिर्फ तन्हाई है,

तमन्ना थी चाँद तारों की पर हासिल सुआह सियाही है,


मंजिलें बे-रास्ते, मुकद्दर सोइ हुई, इरादे बे-हौसले से,

अंजाम क्या हो अब जाने, जब आगाज़ में बेपरवाही है।


सच्चे-झूठे कई मौसम गुजरे, असली-नक़ली कुछ लोग मिले,

साँझ-सवेरे आंखों में,कभी हक़ीक़त कभी संजोग मिले,


रास्ते के पत्थर सा, हर आदमी ठोकर मार गया,

तक़दीर भी अपनी बड़ी फंटूश है, कटी पतंग सी लहराई है।


मेरी खामोशी, मेरा गीत बनी, हंसते ज़ख्म, मेरा तराना,

एक दिल सौ फ़साने बने, और जीवन-मृत्यु, एक अफसाना


अंदाज़ मेरा, आवारा हुआ, और हर हसरत, हुई बेईमान,

दुनिया तेरे मेले में पंकज ने, जाने क्या जगह पायी है।


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