तनहा सड़कें, तनहा गलियां !
तनहा सड़कें, तनहा गलियां !
यमराज छिपे तुम आज कहां ,
भेजे हो छली क्यों कोरोना।
है ठिठक गया अब वक्त यहां,
तनहा सड़कें, तनहा गलियां ।
किस गुस्ताख़ी से घिरा जहांं,
इस वक्त अकेला है इंंसां !
कल ख़ुदा बने जो लोग यहां,
भागे फिरते अब यहां वहां ।।
जाकर बैठे वह खोह कहाँ ,
हो शांत ये मन और ख़ौफ़ जहां !
है ठिठक गया अब वक्त यहां,
तनहा सड़कें तनहा गलियां ।
जो लोग हवा से भी आगे,
उड़ते रहने का दम्भ भरें।
वे छुपा के मुंह हैं क्योंं भागे,
अति सूक्ष्म कोरोना के आगे ?
क़ुदरत को तहस नहस करके ,
बर्बाद के ढेर पे है दुनिया।
सब ख़्वाहिश बन रेज़ा रेज़ा,
तनहा सड़कें, तनहा गलियां !
