STORYMIRROR

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

3  

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

तनहा सड़कें, तनहा गलियां !

तनहा सड़कें, तनहा गलियां !

1 min
435

यमराज छिपे तुम आज कहां ,

भेजे हो छली क्यों कोरोना।

है ठिठक गया अब वक्त यहां,

तनहा सड़कें, तनहा गलियां ।


किस गुस्ताख़ी से घिरा जहांं,

इस वक्त अकेला है इंंसां !

कल ख़ुदा बने जो लोग यहां,

भागे फिरते अब यहां वहां ।।


जाकर बैठे वह खोह कहाँ , 

हो शांत ये मन और ख़ौफ़ जहां !

है ठिठक गया अब वक्त यहां,

तनहा सड़कें तनहा गलियां ।


जो लोग हवा से भी आगे,

उड़ते रहने का दम्भ भरें।

वे छुपा के मुंह हैं क्योंं भागे,

अति सूक्ष्म कोरोना के आगे ?


क़ुदरत को तहस नहस करके ,

बर्बाद के ढेर पे है दुनिया।

सब ख़्वाहिश बन रेज़ा रेज़ा,

तनहा सड़कें, तनहा गलियां !


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Tragedy