तन्हा महफ़िलें.......
तन्हा महफ़िलें.......
तन्हा महफ़िलों में अजीब सा शोर चल रहा हैं।
दर्द भरी ख्वाहिशों का सुकून पल रहा हैं।
हसरतें नादान की दिलजोई से जल रहा हैं।
जो भूल ना पायें कभी ऐसे पलों में ढल रहा हैं।
सुनहरी यादों की लिपटी हुई तनहाइयों में संभल रहा है।
महसूस भी ना हो दिल को ऐसी कशमकश में पिघल रहा है।
तनहाइयों का वो दर्द भी अब खुशी से उछल रहा है।
दिल-ए-नादान की हक़ीकत से परे चल रहा है।
तन्हा महफ़िलों का कारवाँ ना जाने कबसे चल रहा है।
अनगिनत से सवालों को लेकर रात के आग़ोश में ढल रहा है।
