तीर-तुक्का
तीर-तुक्का
विधा - प्रदीप छंद
विधान - १६/१३ पर यति, चरणांत लघु गुरु, चार चरण दो-दो या चारो चरण समतुकांत
बदली जग की कार्य प्रणाली, बदला हर इंसान है।
बहरा आतुर सुनने बैठा , सुनने में बेजान है।।
गूंगा मन ही मन चिल्लाता, जिह्वा खुद अनजान है।
आँखों वाला आँख चुराता , अंधा पथिक प्रधान है।।