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मिथलेश सिंह मिलिंद

Classics

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मिथलेश सिंह मिलिंद

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हरिगीतिका

हरिगीतिका

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प्रभु रूप सुन्दर शांति शुभ

सम दिव्य मुख सम्मोहनं। 

नित ब्याघ्र आसन वास शिव

भुव पूज्य जन सुरसूदनं।। 


वसु भक्त भूषण शम्भु मनु

क्रम सिद्धि शुभ बृष भारुणं। 

अज सत्य प्रत्यय श्रेष्ठ शिव

पुरु प्राण हित रक्षायणं।। 


कृति देव अच्युत सत्य शिव

हवि सोम सूर्या लोचनं।

गण नाथ पशुपति सूक्ष्मतनु

गिरि सोम शिव भव भूषणं।।


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