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कलम की आवाज मिथलेश सिंह मिलिंद

Drama

5.0  

कलम की आवाज मिथलेश सिंह मिलिंद

Drama

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण

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पेड़ काटने से सभी, नही आ रहे बाज

इसीलिए पर्यावरण , बिगड़ रहा है आज


हरियाली यदि चाहिए, सदा बचाएँ नीर

जल संकट से बढ़ रही, जनमानस की पीर


हवा शुद्ध जो चाहिए, पेड़ लगा इंसान

जीवन के रक्षक यही , जहाँ बसे भगवान


पाता-दाता भाव से, रहे सुखी संसार

प्रकृति जीव की छाँव में , रहे सदा तैयार


धरा ताप से जल रही , फैल रहा है रोग

मानव केवल लालची, करता है उपभोग


बहुत जरूरी हो रहा, पर्यावरण विचार

संरक्षण में निहित है, जीवन का आधार


काँट-छाँट अब छोड़िए, रखें मित्रवत भाव

प्रकृति संतुलन पर कभीं, आये नहीं प्रभाव।


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