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S Ram Verma

Abstract

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S Ram Verma

Abstract

तीन लफ़्ज़ों का वजन !

तीन लफ़्ज़ों का वजन !

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लफ्ज़ कह दिए गए थे

कायनात की लगभग 

सारी भाषाओँ में   

उन तीन लफ़्ज़ों के लिए

और सारे लफ्ज़ दरकिनार  

कर दिए गए थे


होठों पर सदियों से जमा 

इन लफ़्ज़ों का सारा वजन 

आज उतार दिया गया था

उसके भीतर कोई नाच उठा था

जो नाचता ही जा रहा था

लगातार...लगातार


आज तक वो यूँ ही नाच रहा है

बिना जाने की जिसे बोले गए है

वो तीन लफ्ज़ उसके लिए क्या

मायने रखते है वो लफ्ज़ !


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