तेरी याद
तेरी याद
शब मुझे पहलू में लेकर बैठी रही
चाँद मुझे कहानियां सुनाते रहा बहलाने के लिए
मैं भिगोती रही तकिया अश्कों से फिर भी
लिपटा जा रहा मुझसे
मैं दूर करती रही चादर को खुद से
पर वह पुराना रिश्ता निभाती रही
दरख़्तों पर पर्दा डालकर तेरे तसव्वुर को
बाहर रहने की हिदायत दी
बहुत कोशिश की नींद के आगोश में सो जाऊँ
परंतु उन सांसों का क्या करूँ जो मेरी अपनी
होकर भी बेवफा निकलीं
हर सांस के साथ तू याद आता गया
और दर्द में कराहती रही बेचैन सी तबियत मेरी