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Parmanand Nishad Sachin

Drama

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Parmanand Nishad Sachin

Drama

तेरे माथे की चमक देखकर चांद भी

तेरे माथे की चमक देखकर चांद भी

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तेरे माथे की चमक देख के

चांद भी शरमा गया,

दोस्तों को मेरी बात

थोड़ी बहुत आ गयी,


पर बिन बाल के खोपड़ी देख के

सूरजमुखी भी शरमा गया,

ये माथे को ही पाता है

ये कैसा चमक छा गयी,


माथे की चमक से गोरियों

के मुँह पर चमक छा गयी,

और मेरे माथे में ये

सुनहरी चमक आ गयी।


यादों की चमक माथे पर

जीवन वह नहींं जो हमें मिला है,

जीवन वह है जिसका

हम निर्माण करते हैं,


खुशी वह नहीं जो

हम पैसे से खरीदते हैं,

खुशी तो वह है जो

हम बिना मांगे देते हैं,


गम वह नहीं जो हमें

मुश्किल देते हैं,

गम तो वह है जिसे

हम मुश्किल समझते हैं,


याद वह नहीं जो

हम पल-पल याद करते हैं,

याद तो वह है जो हम

भुलाये आ जाते हैं,


मेरे माथे की चमक देख के

चांद भी शरमा गया,

दोस्तों को मेरी बात

थोड़ी बहुत आ गयी,


पर बिन बाल के खोपड़ी देख के

सूरजमुखी भी शरमा गया,

ये माथे को ही पता है

ये कैसे चमक छा गयी।


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