तेरे बिना
तेरे बिना
तेरे बिन मेरा अब जीना क्या जरूरी है
जहर आँसुओं का पीना क्या जरूरी है
अय्याम गुज़रे कितने कुछ होश ना था
साँसें चलना भी मेरी एक मजबूरी है
मिलना होगा नहीं ये दिल जानता है
सदियों तलक़ ज़ीस्त में अब ये दूरी है
ना तुमसे हो सकेगा इजहार हमारा
रात चाँदनी और हर मांग सिंदूरी है
मिटने लगी है उम्मीद अब ‘वेद' की
ये कहानी हमारी फिर क्यों अधूरी है।