तेरा प्यार
तेरा प्यार
फकत आरज़ू है कि तेरा प्यार पाऊँ,
बन मोहब्बत का मंजर तुझ पर ही इतराऊँ ।।
लगी आग सीने में जो बरसों से मेरे
लुटाकर के तुझ पर हर वो अगन मैं बुझाऊँ ।।
फिर जाना न मुझसे दूर होकर के हमदम,
चाहे देना मुझे तुम ढेरों दर्द - ओ सितम।।
मै सह लूंगी सारे रंज - ओ गम को,
बस संग मेरे रहना ओ मेरे प्यारे हमदम।।
तेरे इश्क़ में डूब कर मैं पागल हुई हूँ,
रौशनी चीरकर आँख की काजल हुई हूँ।।
अब मत पूछना मेरे मोहब्बत का हद तुम,
बिन घटा ही मैं हर वो बादल हुई हूँ।।
छोड़ कर मैं तेरे पीछे आई हूँ जमाना
एक तुझको बनाने अब अपना ठिकाना
छोड़ो भी सही हर जिद्द को तुम अपने
चलेगा नहीं तुम्हारा कोई भी अब बहाना।।