माँ का हिसाब
माँ का हिसाब
आज तक कोई माँ का हिसाब न कर पाया है
न ही कोई उसके आज तक जैसा बन पाया है
माँ तो माँ होती है माँ का दर्जा कोई नहीं ले सकता
उसने ही तो हमें बोलना और चलना सिखाया है
खुद भूखी रहती पर हमें कभी भी भूखा न सुलाया
मैंने तो धरा पर माँ के रूप में सबकुछ पाया है
कोई शब्द नहीं है माँ के लिए जो लिख सकूँ
जिसने गलतियों को कर नज़रअंदाज़ मुझे अपनाया है
माँ के स्नेह का हिसाब या बराबरी तो
कोई कर ही नहीं सकता
ये वो है जिनके कदमों में स्वयं ईश्वर ने भी
सिर झुकाया है
माँ का कर्ज़ कोई नही भर सकता आजीवन तक
क्योंकि माँ जैसा कोई नही अब तक धरा पर आया है....।।