नशामुक्ति
नशामुक्ति
तबाह हो रहा है एक- एक घर
जहाँ का चिराग नशे में धुत्त भटक
रहा निठल्ला हो दर - बदर
चेहरे की लाली सब उड़ गई
शुष्कता केवल जैसे जड़ गई
जमकर बस रह गई लहू रगो में
लाचारी ही बस माथे पर एक मढ़ गई
पूत से बना कपूत बच्चा बच्चा
मान मर्यादा खो दिया सबने
रहा न कोई भी अब अच्छा
माताएं बिलख रही,राखी पकड़ें रोती है बहनें
विधवा का ठप्पा लिए सुहागिनें ,सफेद धोती हैं पहनें
जिनको हर जिम्मेदारी उठानी थी,वो जल रहा नशे की आग में,रखकर गिरवी घर के गहनें
जाने क्या होगा अब देश की हालत ऐसे युवा पीढ़ी से...
कुछ तो कठोर कदम उठाना होगा
अपनों को इस दलदल से भरसक बचाना होगा
जो नशे के दर्द से गुजरा है,उसको
इस दर्द से बचाकर हँसाना होगा
अपनापन का उड़ेलकर सागर
उसको गले लगाना होगा।।