तड़प मुलाक़ात की
तड़प मुलाक़ात की


उसके चले जाने से,
दिल दुखता हैं
दिल में कुछ छिपाने से,
होती ना ख़त्म
क्यूँ तड़प मुलाक़ात की।
मोहब्बत में सजा
मिल रही हैं क़िस बात की,
वो सनम हरजाई
हो गई।
एक पल में कैसे जुदाई
हो गई,
पता भी ना चला उम्र
गुजरती गई।
कोरे पन्नों पर सिर्फ
स्याही रह गई
मुझे सजा दे रही हैं,
वो बेवफा क़िस बात की।
आज भी सताती हैं,
उसकी हर एक
तड़प मुलाक़ात की !