स्वतंत्रता की स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता की स्वतंत्रता दिवस
प्रतिदिन ही
स्वतंत्रता की माँ को
पथ में, पगडंडियों में
सड़क की
चौराहों पर
लोगों की ओर
करुण दृष्टि डालते हुए
भीख मांगते हुए देखा हूँ।
हाट में -बज़ार में
लोगों की भीड़ में
गन्दी और फटा कपड़ा
पहन कर
टहलते देखा हूँ।
नगर की
ऊँची -ऊँची
अट्टालिकायों के बीच
टाटर की दीवाल
और जर्जर छज्जा के नीचें
रहते हुए देखा हूँ।
हमारे देश के
बड़े -बड़े नेता
खा -पीकर डकारते हैं
और नाही तो अपनी वोट
बढ़ाने के लिए
अपनी मांग मानवाने के लिए
भूख हड़ताल की
नाटक देखा हूँ।
पर स्वतंत्रता की माँ
प्रतिदिन
प्रतिरात्रि
भूखे ही सोते हैं।
फिर भी
अपनी भूखे रहना
भूख से बिलबिलाना
किसी अखबार में
टेलिविज़न और रेडियो में भी
जगह मिलती नहीं।
फिर भी
स्वतन्त्रता
चुपचाप
ख़ुशी के साथ
स्वतन्त्रता दिवस
पालन करती है।
