"स्वार्थी रिश्ते"
"स्वार्थी रिश्ते"
हर रिश्ते में स्वार्थी मोहब्बत देखी
हर रिश्ते में स्वार्थी तिजारत देखी
पर कोई भी न दिखा अपना सगा,
सब में ही स्वार्थ की सजावट देखी
अब खुद की परछाई से डरने लगा,
जब शीशे में भी मैंने बनावट देखी
अब भला साखी जाये तो जाये कहां
सबके दिल में खुद की चाहत देखी
हर रिश्ते से अब मेरा, मन भर गया,
जब लहूं में पानी की बसावट देखी
अब खुद के भीतर बनाया आशियाँ,
जब खुद के ही भीतर बगावत देखी
अब रहेंगे बस अपने हाल में मस्त,
जब जग की स्वार्थी रिवायत देखी
बस अपने बालाजी की भक्ति करेंगे,
इसमें बस जिंदगी की शराफत देखी
बाला की भक्ति से, बाला शक्ति से,
पत्थर जिंदगी में, मैंने नजाकत देखी
क्योंकि बालाजी ही वो भगवान है,
जिनसे रिश्ते में, मैंने ताकत देखी है