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Dr nirmala Sharma

Tragedy

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Dr nirmala Sharma

Tragedy

विज्ञपनों की दुनिया

विज्ञपनों की दुनिया

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हमारे चारों ओर छाया है

विज्ञापनों का मायावी संसार

उपभोक्तावाद की तश्तरी में परोसा

मन को मोहने वाला ये जंजाल।


प्रात:काल से लेकर

शयन की स्थिति तक

विज्ञापन हर क्षण मन को बाँधते हैं।

बाजार में नये - नये लुभावने वादे

उपभोक्ता के मन को ललचाते हैं।


बच्चे से लेकर बूढ़े तक है इसके शिकार

वैश्वीकरण का जादुई

तिलिस्म होने लगा साकार

सभी को ब्रांडेड वस्तुएँ चाहिए।


गुणवक्ता हो न हो पर

ब्रांड इंटरनेशनल होना चाहिए।

लघु उद्योगों पर छाये हैं काले बादल

मुक्त बाज़ार अकड के खड़ा है बना के दल।


विज्ञापन एक्वागार्ड के पानी को

बेहतर बताता है।

पर मेरे देश में कई जगह

इंसान दो घूँट पानी के लिए भी

तरसता है।


विविध सौन्दर्य प्रसाधन तन को

उज्ज्वल बनाने की बात करते हैं।

गरीबी में लिपटे तन दो वक्त की रोटी

की फरियाद करते हैं।


ये विज्ञापनों का मायाजाल हमें

विपथ कर रहा है

आम आदमी इनके जाल में

फँसकर भटक रहा है।


ये विज्ञापनों का मायावी संसार।


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