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Sumit. Malhotra

Tragedy Action Inspirational

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Sumit. Malhotra

Tragedy Action Inspirational

सुशांत सिंह राजपूत सर जी।

सुशांत सिंह राजपूत सर जी।

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जीवन में कुछ कर गुजरने की उसने ठानी थी,

भारत देश का नाम रोशन करने की ख्वाहिश।


जीवन भर वो बेचारा बस मुस्कराता ही रहा,

दिन में हंसता-खेलता और सबको हंसाता रहा।


रात को तनहाइयों में आंसुओं को बहाता रहा,

अपने गमों को भुलाने की कोशिश नाकाम करता रहा।


दिन में फूलों की तरह ख़ुशबू ही तो बिखेरता रहा,

रातें तमाम जिंदगी की होकर परेशान काटता रहा।


रेत का ही तो था वो एक सहमा हुआ सा घरौंदा,

आंधियों के साये में नीरस जीवन गुजारता रहा।


तन-मन-धन से तो था ही वो बेहद मज़बूत मगर,

सपने पूरे ना होने का डर उसे हमेशा सताता रहा।


जीते-जी सुख-चैन से सोना तक ना हुआ था नसीब 

सब कुछ होते हुए भी जीवन था उसका कितना अजीब।


क्यों ना चुनें हम भी जवां दिलों के प्यार भरें वो टुकड़े,

हर शख्स की किस्मत में दोस्तों सिर्फ वरदान नहीं होते।


जब जुल्म की काली स्याही में गुम हो जाये राही कोई,

होते हैं बदनाम बेशक पर जिंदगी भर गुमनाम तो नहीं।



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