मैं डरी, सहमी, सकुचाई फिर भी तुझे शर्म न आई सारी सखियों ने देख लिया मैं डरी, सहमी, सकुचाई फिर भी तुझे शर्म न आई सारी सखियों ने देख लिया
यह कविता टूटे दिल की आवाज़ है। यह कविता टूटे दिल की आवाज़ है।
समझ से परे तेरी जिंदगानी पता नहीं इनके सपनों में कौन आती है समझ से परे तेरी जिंदगानी पता नहीं इनके सपनों में कौन आती है
कैसा पागलपन है 'कुमार' सोच ज़रा, क्यों तू ख़ुद को इतना ज्यादा सताता है। कैसा पागलपन है 'कुमार' सोच ज़रा, क्यों तू ख़ुद को इतना ज्यादा सताता है।
छठी माई के आगमन का जयघोष होता जब चहूं ओर। घर से लेकर घाट तक की यात्रा होती बड़ी अविरल! छठी माई के आगमन का जयघोष होता जब चहूं ओर। घर से लेकर घाट तक की यात्रा होती बड...
जब भी कोई संकट दुनिया का हमको सताता है, संकट मोचन पाठ से हर गम उड़ते बहाने हो गये जब भी कोई संकट दुनिया का हमको सताता है, संकट मोचन पाठ से हर गम उड़ते बहाने हो ...