STORYMIRROR

Rajeshwar Mandal

Romance

3  

Rajeshwar Mandal

Romance

बेखबर

बेखबर

1 min
118

इधर देखूं या देखूं उधर

बड़ी ही असमंजस है देखूं किधर

उलझी उलझी सी जिंदगी 

कुछ आता नहीं नजर

ख्यालों में हम जिनके 

जागते रहते रात भर

वो गहरी नींद में सो रहा बेखबर


जितना मैं करूं जतन 

उतना ही वो और सताता है

क्या है इनके दिलों दिमाग में

वह भी नहीं बताता है

समझ से परे तेरी जिंदगानी

पता नहीं इनके सपनों में कौन आती है


कभी कभी सोचता हूं

छोड़ दूं सोचना तेरे बारे में

बसा लूं किसी और को 

अपने मन के गलियारे में

पर तेरे सिवाय कोई और नहीं भाता है

और थक हार कर फिर से तू ही 

मेरे हृदय पटल पर छा जाता है


अब तू ही बता

इधर देखूं या देखूं उधर

बड़ी असमंजस है

देखूं किधर...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance