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Brijlala Rohanअन्वेषी

Others

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Brijlala Rohanअन्वेषी

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पवित्रता और आस्था का प्रतीक :छठ पर्व

पवित्रता और आस्था का प्रतीक :छठ पर्व

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बड़ा मनभावन, पवित्र है छठ का त्यौहार।

जहाँ सर्वत्र दिखती स्वच्छता - पवित्रता की बहार।

राजा - रंक सब भक्ति भाव से बिन भेद किये यह पर्व मनाते हैं।

न कोई पंडित- पुरोहित की जरूरत है इसमें !

भक्त भगवान से सीधे साक्षात्कार कर पाते हैं।

गाँव की गलियाँ, कच्ची - पक्की सड़कें सब भक्ति भाव में हो जाते विभोर!

छठी माई के आगमन का जयघोष होता जब चहूं ओर।

घर से लेकर घाट तक की यात्रा होती बड़ी अविरल! 

छठी माई के गीत और दीनानाथ के भजन से मन हर्षित होता प्रतिक्षण-प्रति पल। 

आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता का संगम है 

यह छठ का पावन - पवित्र त्यौहार। 

संध्या में डूबते हुए सूर्य का अर्घ्य,

फिर प्रात: उगते हुए दिवाकर का अर्घ्य। 

ये प्रतीक है हमारी अटूट आस्था- विश्वास का - कि

अस्त होने वाले का भी उदय एक दिन निश्चित है।

सच्ची श्रद्धा भाव से हम कर्मयोग जानें इसी में हमारी प्रायश्चित है।

दिन -दिवस की भूखी - प्यासी 'तिवई'  दिवाकर के दर्शन हेतु

होती जब जल बीच खाड़ा !

न उन्हें भूख- प्यास की चिंता होती, न सताता उन्हें जाड़ा ! 

टकटकी लगाये रहते हैं सब व्रती कब दर्शन देंगे दिवाकर किस ओर !

पूजा बाद अमृत-तुल्य प्रसाद ग्रहण कर मन हो जाता भक्ति भाव में सराबोर। 


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