स्तब्ध हूं मैं
स्तब्ध हूं मैं
स्तब्ध रह गया मन
घटना विचलित कर गई
आंखो को ही नहीं
अंतर्मन तक को नम कर गई
अभी जाना न था
ठीक से पहचाना भी न था
साँसो की डोर थी इतनी कमजोर
दिल के टुकड़े कर टूट गई
बचपन तो मस्ती लाता है
फिर ये कैसा तूफान लेकर आया
जीवन के मायने बदल गए
जो ख्वाबों की वजह थे
वजह ही रेत के समान फिसल गई
रह गई तो बस यादें
सिर्फ यादें
उम्र भर न खत्म होने वाला इंतजार।।