सरकार बनें हम
सरकार बनें हम
हैवान तो जहाँ के लोग हम बन ही चुके हैं,
चल दूसरों को भी हैवानियत का शिकार बनाएँ हम,
हिन्दू मुसलमान दंगे तो अभी बहुत ही कम हैं,
चल दंगे फैलाने का कोई और मुद्दा आधार बनाएँ हम।
हमें तो सत्ता में आने की हर राह ढूँढनी है,
चल आ राजनीति में पाँव जमाने के आसार बनाएँ हम,
कोई तो आमदनी का काम हम ने करना ही है न,
तो चल आकर के राजनीति में ही रोज़गार बनाएँ हम।
सुना है धंधा कभी ये मंदा नहीं होता है,
चल आ कर के पाँच साल तक व्यापार करें हम,
ये कारोबार तो पीढ़ी दर पीढ़ी ही चलता है,
आने वाली पीढ़ियों का धनवान होना स्वीकार करें हम।
ज़िन्दगी में ऐसे मौके आसानी से नहीं मिल पाते हैं,
चल आ मौत बाँट खुद की ज़िन्दगी साकार करें हम,
बहुत से मौके मिलते हैं यहाँ दंगे भड़काने के,
चल आकर के भोली भाली जनता की सरकार बनें हम।
