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S Ram Verma

Romance

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S Ram Verma

Romance

सपने नए !

सपने नए !

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ख़्वाबों के समंदर में 

एक टुकड़ा उम्मीदों का

जब फेंकता हूँ 

मैं बड़ी शिद्दत से।


कुछ बूँदें आस की 

चलक ही आती हैं 

मेरे चेहरे पर भी

मेरे लिए तुम उन 

बूंदों की ठंडक हो।


ताज़गी भरती हो 

मेरी रगों में हर पल

हर रोज़ मेरा तुम 

एक दम नया करती हो  

हर रोज़ मुझमे 

सपने नए भरती हो !


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