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kacha jagdish

Abstract Tragedy

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kacha jagdish

Abstract Tragedy

सोच

सोच

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हमारे पास होता है एक मन

मन के पास होते है अनगिनत विचार

विचार मिलकर बनाते स्वभाव

स्वभाव से बनता जीवन

जीवन की होती है एक सोच


अब बस यहीं फैला है दुनिया का फसाद

क्योंकि दुनिया में होती है हर किसी की है अपनी सोच

यह बात जानती दुनिया सारी

लेकिन करते हैं अपने मन की

और चाहते हैं चले दुनिया सारी उनके सोच के अनुसार


माना आजाद है हर कोई 

सोचने की आजादी है हर किसी के पास

लेकिन करनी है अपने मन की

करवानी है मन की


सारे झगड़े भी इसी बातें की

सारी लड़ाई भी इसी बात की

सारे मतभेद भी इसी बात के

सारी कहासुनी भी इसी बात की


लेकिन क्यों ना सोचे कोई बात

जैसी सोच उसकी 

वैसी नहीं होती सबकी


बस सोच ले सब बात 

तो मिट जाये कई फसाद। 



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