बिगाड़ आया हूँ
बिगाड़ आया हूँ
ज़रा सी बात पर बिगाड़ आया हूँ
बनी बनायी बात बिगाड़ आया हूँ
सीने में जल रह थी जो आग
उसमें खुद को जलाते आया हूँ
दोबारा नहीं मिलता वक़्त दुनिया में
यह जानते हुए भी बिगाड़ आया हूँ
दूसरों का बिगाड़ ने के चक्कर में
खुद का बना बनाया बिगाड़ बैठा हूँ
सोच रहा हूँ बैठकर
क्या बनाया, क्या बिगाड़ते आया हूँ