संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार
कई रिश्तों से मिलकर बनता है परिवार
प्यार और सहयोग ही होता है आधार
सुख-दुःख में सब आते हैं काम
खुशियाँ छलकती हैं सुबह और शाम।।
आपसी विश्वास की नींव पर टिका
खिलती स्नेह की धूप और ओढ़े दुलार की छाँव।
हर एक सदस्य के सपनों को समेटे
दिख जाते थे ये अक्सर चाहे शहर हो या गाँव।।
सिर्फ रहना नहीं साथ जीना है परिवार
एक-दूसरे की समझ और परवाह है परिवार।
जैसे मौसम में आते जाते पतझड़ और बहार
उसी तरह हर प्रश्न का सटीक उत्तर है परिवार।।
सुख-दुःख में साथ निभाना
सब मिलकर जश्न मनाना।
बिन कहे ही बहुत कुछ कह जाना
अनमोल रिश्ते-नातों का खजाना।।
क्या जाने ये आज की पीढ़ी
संयुक्त परिवार का मूल्य ।
चार लोगों में सिमटा इनका जीवन
खो रहा एक थाती अमूल्य। ।
एक वो वक्त भी था जब
चाची, मामी, मौसी, ताई और थी प्यारी सी एक बुआ
आधुनिकता में खो गये सारे रिश्ते
अब तो इन सबको एक अंकल और आंट ने लील लिया।।
कैसे जानेगी ये पीढ़ी
संयुक्त परिवार का महत्व
जब खो चुके हैं सारे नाते
और मिट रहा है अपनत्व। ।
दादा-दादी और नाना-नानी के दुलार से वंचित
कौन करेगा इनमें मानवीय मूल्यों को संचित।
हो सके तो बचा लो अपनी इस धरोहर को
और फिर से एक नई साँस दो संयुक्त परिवार को ।