समय बड़ा बलवान
समय बड़ा बलवान
समय ये कैसा आया
मानव को कहां ले आया
कोरोना ने धरा पर डेरा डाला
जीवन अस्त-व्यस्त कर डाला
कोरोना महाकाल बनकर आया
मानव ने हर उपाय आजमाया
समय बड़ा बलवान है
मनुष्य पर पड़ता है भारी
समय के आगे धरी रह जाती
मानव की सब होशियारी
मनुष्य की क्या औकात
समय को दे सके वो मात
मन वचन कर्म से मानव
बन गया खुद मारक हथियार
त्याग दिये सब नैतिक मूल्य
धर्म-कर्म सेवा परोपकार
सत्ता का मद, संपत्ति का मद,
मदमस्त फिर रहा इंसान
मैं मैं करता फिरता
भूल कर अपनी पहचान
क्यों आया है कौन है क्या कर्तव्य है
नहीं करता तनिक भी मंथन
क्या धर्म है क्या कर्म है
नहीं करता तनिक भी चिंतन
विरुद्ध आहार विहार
विकृत आचार विचार
सत रज तम का असंतुलन
जीवन मूल्यों का उल्लंघन
निरंकुशता विपदाएं लाती है
मानव को पाठ पढ़ाती है
क्यों व्यर्थ करता है अभिमान
मान ले मनुज समय है बलवान
जगत है सराय मालिक ना बन
छोड़ दे अहंकार और कर्तापन
करन करावनहार विधाता है
सबका पालनहार विधाता है।।
