समुद्र तट
समुद्र तट
गहरे सागर की मचलती लहरें क्षितिज छूने को रहती हैं बेताब।
सागर किनारे बैठो गर दिख जाएगी जिन्दगी की पूरी किताब।।
कितने ही रंग जीवन के, कितनी ही सदियाँ देखी इन लहरों ने।
बनते बिगड़ते रिश्तों की लिखावट खुद में समेटी इन लहरों ने।।
समुद्र तट से आकर टकराती जब लहरें छोड़ जाती हैं निशान।
कुछ दफ़न हो जाते रेत में वहीं कुछ की मिलती नहीं पहचान।।
गवाही देती हैं लहरें यहाँ की, सुनाती है कितनी ही कहानियाँ।
खुशियों की उफान है इस तट पर और है दर्द की खामोशियाँ।।
किसी के लिए सैर सपाटा तट, किसी के लिए यादों की थली।
राज कितने ही पोशीदा इसके दामन में लगे जैसे कोई पहेली।।
उदय अस्त होते आफ़ताब की यहाँ झलक मिले बड़ी निराली।
जिसकी अनुपम झलक पाने को ये दुनिया है रहती उतावली।।
किसी को घोड़ों की सवारी पसंद तो किसी को यहाँ व्यायाम।
कोई दिल के जज़्बात करता ज़ाहिर देख ढलती सिंदूरी शाम।।
मुक्त गगन की ऊँचाई समुद्र तल की गहराई दोनों का नज़ारा।
और खूबसूरत प्रकृति का साथ, इससे संगम नहीं कोई प्यारा।।