सम्बन्ध
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क़ाश ! घरों में बहुत सी दीवारें ना होती,
तो सब साथ उठते, बैठते, खाते, पीते, कहाँ जाते ?
घर बड़े हो गए, दिल छोटे,
सम्बन्ध भी अब नॉनस्टिक बर्तनों की तरह हो गए,
सम्बन्धों को खाने की तरह चिपकने नहीं देते।
क़ाश ! घरों में बहुत सी दीवारें ना होती,
तो सब साथ उठते, बैठते, खाते, पीते, कहाँ जाते ?
घर बड़े हो गए, दिल छोटे,
सम्बन्ध भी अब नॉनस्टिक बर्तनों की तरह हो गए,
सम्बन्धों को खाने की तरह चिपकने नहीं देते।