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parag mehta

Tragedy

3  

parag mehta

Tragedy

शरर!!!!!!!

शरर!!!!!!!

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ये मिज़ाज भी बदल गया 

जिस पर हमें कभी गुरूर था।


जाना हमने अभी किसकी खातिर 

उसकी नब्ज़ में बसा वो शरर था। 


फासले भी ये कितने अजीब 

दूर हो कर भी इतने करीब। 


ये खेल यूँ ही तो नायाब है 

एक खूबसूरत अंजाम है। 


जान कर भी अनजान रह गया 

आखिर कैसे तू बह गया। 


दर्द तो मिलना ही था तुझे 

प्यार इतनी शिद्दत से कहाँ तू कर गया !!


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