श्रीकृष्ण सुदामा की दोस्ती
श्रीकृष्ण सुदामा की दोस्ती
श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता है बड़ी अनमोल,
ऊँच - नीच से दूर जानो इस मित्रता का तुम मोल,
बचपन में सखा संग वृंदावन में खूब रास रचाए थे,
दोनों ने मिलकर चोरी -छिपे खूब माखन खाए थे,
श्रीकृष्ण और उस सुदामा की दोस्ती एक मिसाल है,
एक ब्राह्मण का पुत्र तो एक राजपरिवार का लाल है,
सुदामा अपने सखा से मिलने जब द्वारिका आए थे,
संदेश सुनकर श्रीकृष्ण नंगे पैर ही दौड़े चले आए थे,
सुदामा के गले मिले ऐसे जैसे जन्म-जन्म के बिछड़े,
सुदामा मित्र से मिलकर भूल गया सब अपने दुखड़े,
भव्य दृश्य देखकर द्वारिका का सुदामा बहुत हर्षाये,
फटे वस्त्र,नंगे पांव और हाथ में थैला तनिक सकुचाये,
दयनीय स्थिति देख मित्र श्रीकृष्ण के अश्रु भर आए,
अपने अश्रुओं से श्रीकृष्ण ने सुदामा के चरण धुलाये,
दोनों खिलखिलाकर मुस्काए याद कर दिन बचपन के,
सुख - दुख साथ बिताए थे याद आए दिन गुरुकुल के,
दोनों की सच्ची दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है,
दोनों की मित्रता में आज भी अलग चमक दिखाई देती है I