Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Himanshu Sharma

Tragedy

4  

Himanshu Sharma

Tragedy

शोषण पे न्याय

शोषण पे न्याय

1 min
267


एक बार, यूँ किसी अदालत में,

बड़े व्यक्ति का केस था आया !

किसी, अबोध सी नव-युवती ने,

था, शोषण का आरोप लगाया !


जज महोदय ने पढ़ी, साहब पर,

लगाये, इल्ज़ामों की, चार्ज-शीट !

फ़ैसला पढ़ते हुए, जज साहब ने,

उनको दे डाली, पूरी क्लीनचिट !


हतप्रभ होकर नवयुवती ने पूछा,

"आख़िर क्यों इन्हें छोड़ दिया यूँ?

माना विधि के आँख बंधी है पट्टी,

मगर अन्याय मुझसे यूँ किया क्यूँ?"


न्याय ने चश्मा संभाला और कहा,

"इस न्यायालय में, प्रवेश से पहले !

करबद्ध क्षमा माँगी सब औरतों से,

महोदय ने आँखों पर, चश्मा पहने !"


बात, जारी रखते हुए न्याय ने कहा,

"सज़ा का प्रावधान ग्लानि के लिए है !

मैंने, इनकी आँखों में ग्लानि देखी है,

मुक्ति, ग्लानि-प्राप्त प्राणी के लिए है !"


तभी से, ये प्रथा चलनी शुरू हुई कि, 

इन्साफ सदा रसूख़ के आगे झुकेगा !

अगर तू है ग़रीब, मुफ़लिस, अफ़सुर्दा,

इस इंसाफ के आगे अभागे, झुकेगा !


तभी से पैसा रसूख़ ताक़त सियासत,

बस खड़े यूँही हाथ जोड़कर रहते हैं !

इन्साफ, क़ानून, पैसा, और शोहरत,

इनके लिए खड़े हर मोड़ पर रहते हैं !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy