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शीशे का दिल

शीशे का दिल

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मैं शीशे का दिल हूँ, वो पत्थर की हवेली है

कैसे मैं कहूँ, उनसे मुझे प्यार करना है

मेरे ख्यालों से खुशबू सी गुजरती है

कैसे मैं कहूँ, उनको बाहों में समाना है

लहरों सा आना जाना, मुझको नहीं भाता है

कैसे मैं कहूँ, उनसे मिलना मिट जाना है

पलकों पे बिठाए हैं, वो लोग सयाने है

कैसे मैं कहूँ, उनको हमदर्द बनाना है

तेरी निगाहों के थमने पे, दुनिया की निगाहें है

कैसे मैं कहूँ, उनको आँखों में समाना है


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