Amit Kumar Mall
Abstract
जमाना मुझे
काबिल बनाने के लिये
तराशता रहा
उम्र बीत गई,
झूठ को सच
बनाना नहीं आया।
मन
बेपरवाह
तराशना
पुल
रहम कर
मुस्कराता बहु...
अखबार नवीसों ...
लिखना
बहाव के साथ
लोग
जन को सुरक्षित रहने का पैगाम देंगे कर्तव्य का हम अपने निर्वाह करेंगे। जन को सुरक्षित रहने का पैगाम देंगे कर्तव्य का हम अपने निर्वाह करेंगे।
आओ हर घर दीप जलाएं हम प्रकाश पर्व हमें मनाना है। आओ हर घर दीप जलाएं हम प्रकाश पर्व हमें मनाना है।
है न मुमकिन दीद की ख्वाहिश अगर क्यूँ मुस्सविर दिल को भरमाया किये है न मुमकिन दीद की ख्वाहिश अगर क्यूँ मुस्सविर दिल को भरमाया किये
अपनी वीरता के नित नये आयाम छुओ। अपनी वीरता के नित नये आयाम छुओ।
जरा तो सम्हालों अपने शहर को, जरा तो सम्हालों अपने शहर को,
इन सबसे ऊपर का दोस्ती भी एक रिश्ता है जो निभा दे वह फरिश्ता है। इन सबसे ऊपर का दोस्ती भी एक रिश्ता है जो निभा दे वह फरिश्ता है।
जो चोट दे मैं वो राह नहीं तो देख मुझे, मैं समतल हूँ जो चोट दे मैं वो राह नहीं तो देख मुझे, मैं समतल हूँ
तीनों हैं जगत के पालनहार, जिससे है सृष्टि का विकास, जीवन सृजन होता इस पृथ्वी पर, जिसके उद्भव में ... तीनों हैं जगत के पालनहार, जिससे है सृष्टि का विकास, जीवन सृजन होता इस पृथ्वी प...
हर मार्ग की चुनौती को धीरे से ढकल वे देती हैं हर मार्ग की चुनौती को धीरे से ढकल वे देती हैं
अपराधों को रोकने के लिए हमें बालिकाओं से ज़्यादा बालकों पर कसनी होगी लगाम। अपराधों को रोकने के लिए हमें बालिकाओं से ज़्यादा बालकों पर कसनी होगी लगाम।
क्षमा करो पशुपति सभी की अब तुम ही कल्याण करो। क्षमा करो पशुपति सभी की अब तुम ही कल्याण करो।
अब कौन सहयोग करेगा जल, प्रकृति, और पर्यावरण बचाने में ? अब कौन सहयोग करेगा जल, प्रकृति, और पर्यावरण बचाने में ?
फिर जाने कैसा बदला मौसम बिन खुशब, बिन रंगों के, बिन मिट्टी बिन पानी के जंगल उगे मकान फिर जाने कैसा बदला मौसम बिन खुशब, बिन रंगों के, बिन मिट्टी बिन पानी के ...
यह सब प्रकृति का वरदान व प्रेरक तत्व है कि अभी देर न हुई है। यह सब प्रकृति का वरदान व प्रेरक तत्व है कि अभी देर न हुई है।
आज कहीं खो गया है वो मिजाज़ वो प्रयत्न हरियाली का आज कहीं खो गया है वो मिजाज़ वो प्रयत्न हरियाली का
किसीके लिए सड़क का फ़ुटपाथ ही उसका घर है तो किसीके के पास बड़े बड़े घर होकर भी वो किसीके लिए सड़क का फ़ुटपाथ ही उसका घर है तो किसीके के पास बड़े बड़े घर हो...
घूँट घूँट तुम्हारा रसपान किया हमने फिर जहर मिला दिया तुममें घूँट घूँट तुम्हारा रसपान किया हमने फिर जहर मिला दिया तुममें
अपनी सामर्थ्य की सीमा और प्रकृति माता की क्षमा की मर्यादा को देता अपनी सामर्थ्य की सीमा और प्रकृति माता की क्षमा की मर्यादा को देता
जब एक-बार देखकर दिल को तसल्ली हो जाती थी जब वो हमपर दिल-ओ -जान से मरते थे जब एक-बार देखकर दिल को तसल्ली हो जाती थी जब वो हमपर दिल-ओ -जान से मरते थे
काश कोइ करछी हो ऐसी दिल का पतीला कर दे खाली। जो मन हो बस रखें उसको काश कोइ करछी हो ऐसी दिल का पतीला कर दे खाली। जो मन हो बस रखें उसको