रहम कर
रहम कर
1 min
379
ऐ खुदा थोड़ा रहम कर इस दुनिया को थोड़ा बेहतर कर
चूल्हे नहीं जलते दुआओं से भूखे की दुआओं में थोड़ा असर कर
हर रोज सपने टूटते है सुबह की किरणों से बेबसों के सपनों को थोड़ा हकीकत कर
दुनिया नहीं बदलती है पल भर में मज़लूमों की सोचो पर थोड़ा असर कर
सूरज कैद हो गया है किसी के महलों में जुगनुओं को थोड़ा और रौशन कर
बेकरारी, बेबसी, बेचारगी ही आदमी है इस भूल का असर कभी थोड़ा कम कर
