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Amit Kumar Mall

Abstract

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Amit Kumar Mall

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मुस्कराता बहुत मगर

मुस्कराता बहुत मगर

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मैं मुस्कराता बहुत मगर सूखा डाला है मुस्कराहट को तेरी सूनी आँखो ने

 मैं उड़ता आसमाँ मे, मगर तेरे बँधे पंख उड़ने से रोक देते है

 मैं झूमना चाहता हूँ, मगर तेरी बेबसी की लड़खड़ाहट याद आती है

लोग कहते हैं खुश हो. मगर तेरे दिल का दर्द मुझे भी रुलाता है

उँचाइयो की तमन्ना दिल मे तो ,मगरअपने साथियों को भुलाउं कैसे!


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