शीर्षक ="सावन के झूले
शीर्षक ="सावन के झूले
हृदय में उमंग,
बौछारों से हवाएँ हुई नम,
गर्मी से राहत देने आया सावन।
अनुकूल मौसम,
तन में उठी सिरहन,
छाया उफ़ान पर प्रकृति का यौवन।
याद आया बचपन,
जो खो गया आजकल,
चल सखी भीगते सुहाना हैं मौसम।।
हरियाली सर्वत्र,
हरित हुआ तन-मन,
आ प्रकृति की गोद में करें विचरण।।
वो झूला देख,
पर पहले बैठूंगी मैं,
सावधानी से पीछे से तू मुझे धकेल।।
धीरज रख,
तू ही झूलेगी मेरे बाद,
हम आये पहले, करने दो औरों को इंतज़ार।