सह्चर्य
सह्चर्य
ये अभी अभी की तो बात है
हम तुम साथ साथ थे
तराने थे तरन्नुम था गायकी और साज़ थे
ये अभी अभी की तो बात है
वेदना के स्वर सभी
अजनबी से थे लग रहे
जिस से भी मैं मिला
सब अपने अपने लग रहे
सीने में पल पल प्यार के
गुलाब से थे खिल रहे
ये अभी अभी की तो बात है
हम तुम साथ साथ थे
तराने थे तरन्नुम था गायकी और साज़ थे
अनजानी राह भी
एहसास अपने शहर सा दे रही
सूनी उदास गलिया ,
उपवन का रूप ले गई
ये अभी अभी की तो बात है
हम तुम साथ साथ थे
तराने थे तरन्नुम था गायकी और साज़ थे