शायरी
शायरी
फूलों ने पूछा भंवरे से
क्या तुझे हुई कांटों से चुभन
भंवरे ने कहा तेरे रस ने
जख्मों पे लगा दी है मरहम ।
आसमां को देखते हैं
दो होंठ खुले हुए
जिगर की प्यास बुझाने को
दो बूंद ही गिरे ।
दिल की राह में
अश्क पड़ाव बन गए
तेरी याद के चिराग से
जख्म नम कर गए ।
दिल पर अमावस की
रात का है अंधेरा
हसरतों की शमा जल रही है
आरजू का है सुना बसेरा ।
